A Secret Weapon For Shodashi

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The murti, and that is also witnessed by devotees as ‘Maa Kali’ presides around the temple, and stands in its sanctum sanctorum.  Listed here, she is worshipped in her incarnation as ‘Shoroshi’, a derivation of Shodashi.

नवयौवनशोभाढ्यां वन्दे त्रिपुरसुन्दरीम् ॥९॥

॥ इति श्रीत्रिपुरसुन्दरीस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥

The Devas then prayed to her to demolish Bhandasura and restore Dharma. She's thought to get fought the mother of all battles with Bhandasura – some scholars are of your watch that Bhandasura took different kinds and Devi appeared in numerous kinds to annihilate him. Eventually, she killed Bhandasura with the Kameshwarastra.

Shiva following the death of Sati had entered into a deep meditation. With out his Electrical power no generation was doable and this brought about an imbalance in the universe. To carry him out of his deep meditation, Sati took birth as Parvati.

यह उपरोक्त कथा केवल एक कथा ही नहीं है, जीवन का श्रेष्ठतम सत्य है, क्योंकि जिस व्यक्ति पर षोडशी महात्रिपुर सुन्दरी की कृपा हो जाती है, जो व्यक्ति जीवन में पूर्ण सिद्धि प्राप्त करने में समर्थ हो जाता है, क्योंकि यह शक्ति शिव की शक्ति है, यह शक्ति इच्छा, ज्ञान, क्रिया — तीनों स्वरूपों को पूर्णत: प्रदान करने वाली है।

हरार्धभागनिलयामम्बामद्रिसुतां मृडाम् ।

वृत्तत्रयं च धरणी सदनत्रयं च श्री चक्रमेत दुदितं पर देवताया: ।।

रविताक्ष्येन्दुकन्दर्पैः शङ्करानलविष्णुभिः ॥३॥

श्रीचक्रान्तर्निषण्णा गुहवरजननी दुष्टहन्त्री वरेण्या

श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥५॥

The essence of those events lies within the unity and shared devotion they inspire, transcending individual worship to make a collective spiritual atmosphere.

वन्दे वाग्देवतां ध्यात्वा देवीं त्रिपुरसुन्दरीम् ॥१॥

यह साधना करने वाला व्यक्ति स्वयं कामदेव के समान हो जाता है और वह साधारण व्यक्ति न रहकर लक्ष्मीवान्, पुत्रवान व स्त्रीप्रिय होता है। उसे वशीकरण की विशेष शक्ति प्राप्त होती है, उसके अंदर एक विशेष आत्मशक्ति का विकास होता है और उसके जीवन के पाप शान्त होते है। जिस प्रकार अग्नि में कपूर तत्काल भस्म हो जाता है, उसी प्रकार महात्रिपुर सुन्दरी की साधना करने से व्यक्ति के पापों का क्षय हो जाता है, वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है और उसे समस्त शक्तियों के स्वामी की स्थिति प्राप्त होती है और व्यक्ति इस जीवन में ही मनुष्यत्व से देवत्व की ओर परिवर्तित click here होने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर लेता है।

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